30 सित॰ 2010

काबिलियत ही सच्ची आज़ादी है

काबिलियत व्यक्ति में विश्वास जगाती है की उसे किसी रहनुमा की जरुरत नहीं है वह स्वयं अपना रहनुमा है . काबिल व्यक्ति को किसी के सहारे की आवश्यकता नहीं है , वह किसी पर आश्रित नहीं है, किसी के पराधीन नहीं है अपितु वह स्वाधीन एवं स्वतंत्रता की ज़िंदगी जीता है. जो काबिल होता है उसी में क्रांति करने की हिम्मत होती है वही प्रतिस्त्रोत में बहने की हिम्मत रखता है. कमजोर व्यक्ति य्ढ़ बाते सोच भी नहीं सकता है. यही बात किसी समाज या राष्ट्र के बारे में भी लागू होती है.


आज के युग में जिस राष्ट्र ने आर्थिक, वैज्ञानिक, तकनीकी, सामरिक काबिलियत हासिल कर ली है उसे किसी भी पर राष्ट्र से कोई भय नहीं है वह किसी अन्य राष्ट्र की सहायता पर निर्भर नहीं करता. वही इसके विपरीत जिस देश के पास उपरोक्त क्षमताये नहीं है उसे सम्पन्न देशो की मेहरबानियो पर गुज़र करना होता है. वह सम्पन्न देशो पर इतना आश्रित होता है की वह सम्पन्न देशो की अन्याय पूर्ण नीतियों को भी सहन करता है. चाहते हुए भी कई बार अंतर राष्ट्रीय समुदाय के समक्ष वह सम्पन्न देशो के खिलाफ आवाज़ भी नहीं उठा सकता. यह एक प्रकार की गुलामी नहीं तो क्या है ? तो इससे ये बात तो हम निश्चित तौर पर कह सकते है की काबिलियत ही सच्ची आज़ादी दिलाती है.


काबिलियत को तो आज़ादी में तब्दील किया जा सकता है पर क्या आजादी को काबिलियत में तब्दील किया जा सकता है ? यह प्रश्न मेरे जेहन में इसलिए उठता है क्यूंकि शायद ६३ वर्षो की इस आजादी में हमें जितनी काबिलियत हासिल करनी चाहिए थी उतनी हम नहीं कर पाए है. विश्व का सब से काबिल कहा जाने वाला राष्ट्र जिसने दुनिया को गिनती सिखाई , जिसने दुनिया को सभ्यता  और संस्कृति  सिखाई वह आज शायद कही पीछे  रह  गया  है. यदि नहीं तो क्यों  हमें  हमारी  शिक्षा  पद्धति, चिकित्सा  शास्त्र  वैज्ञानिकी   और प्रोद्योगिकी  से ज्यादा  दूसरो  की पद्धतियों  पर ज्यादा  भरोसा  क्यूँ  है. यह साफ़  दर्शाता  है की या  तो हमारे  में काबिलियत नहीं या फिर  हमें  हमारी  काबिलियत पर विश्वास नहीं. और दोनों  ही  सूरतो  में हमें  दुसरो  पर आश्रित  होना  पड़ता  है. तो यदि देश की नई  पीढी  को सही  मायनो  में आजादी का अनुभव  करना  है तो अपनी काबिलियत का विकास  करना होगा  और उसमे  भरोसा  करना होगा  क्योंकि  काबिलियत ही सच्ची आज़ादी है. जय  हिंद  .

5 टिप्‍पणियां:

  1. काबिलियत व्यक्ति में विश्वास जगाती है की उसे किसी रहनुमा की जरुरत नहीं है वह स्वयं अपना रहनुमा है .
    Behad sahee kaha!
    Blog jagat me aapka swagat hai!

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  2. दीपावली का त्यौहार आप, सभी मित्र जनो को परिवार को एवम् मित्रो को सुख,खुशी,सफलता एवम स्वस्थता का योग प्रदान करे -
    इसी शुभकामनओ के साथ हार्दिक बधाई।

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  3. इस सुंदर से नए चिट्ठे के साथ हिंदी ब्‍लॉग जगत में आपका स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

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  4. लेखन अपने आपमें रचनाधर्मिता का परिचायक है. लिखना जारी रखें, बेशक कोई समर्थन करे या नहीं!
    बिना आलोचना के भी लिखने का मजा नहीं!

    यदि समय हो तो आप निम्न ब्लॉग पर लीक से हटकर एक लेख
    "आपने पुलिस के लिए क्या किया है?"
    पढ़ सकते है.

    http://baasvoice.blogspot.com/
    Thanks.

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