14 नव॰ 2010

कैसे बाल-दिवस मनाऊ मैं ?

गुडिया आकर बोली- अंकल! हेप्पी चिल्ड्रनस डे !,
मन ठिठका, सोचा कैसे बाल-दिवस मनाऊ मैं ?
आज़ादी के तिरसठ वर्षो की यह कैसी तस्वीर ? 
करोडो बच्चो के पेट में ना अन्न ना तन पर चीर.
ना जाने कितनी बच्चियां गर्भ में मार दी जाती, 
जो आती संसार तो कच्ची उम्र में ब्याह दी जाती.  
ना जाने हमारी कौन सी है यह मजबूरी ? 
कि करवाते हम मासूमों से बाल मजदूरी.
रेस्तरां में  लिखते सहसा आवाज़ लगाई आदताना,  
अरे ! छोटू क्या कर रहा ? एक चाय तो लाना.  
फिर अहसास हुआ यह क्या कर रहा हु मैं ?
मन ठिठका, सोचा कैसे बाल-दिवस मनाऊ मैं ?

आया ख़याल कि छोटू से पूछूं क्या तू स्कूल पढ़ेगा ?
देखो सब बढ़ रहे है आगे क्या तू नहीं बढेगा ? 
लेकिन दुसरे पल ही शिक्षा पद्धति की आ गयी याद,
हजारो छात्रो की आत्महत्या कर रही जिसकी फ़रियाद. 
बच्चो के वजन से  उनके बस्तों का वजन है ज्यादा,
हर इक उन्हें जैसे किसी होड़ में लगाने को आमादा.
छोटू को स्कूल जाने के लिए कैसे समझा पाऊं मैं ?
मन ठिठका, सोचा कैसे बाल-दिवस मनाऊ मैं ?
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बंधुओ - बहिनों ! क्या बाल दिवस मनाना सार्थक हो सकता है जब तक कि करोडो बच्चें कुपोषण, बाल-मजदूरी, बाल-विवाह के शिकार है और जो इनसे बच गए वह शिक्षा पध्धति के शिकार है जिन्हें प्रतियोगिता और परीक्षा का भय आत्महत्या के द्वार पर लाकर खड़ा कर देता है.   
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8 नव॰ 2010

धर्म का सार अहिंसा

            धर्म क्या है ? जो हमें जीवन जीने की कला सिखाये वही धर्म है. यह अध्यात्म धर्म, राष्ट्र धर्म, कर्तव्य धर्म, पुत्र धर्म, नैतिक धर्म, व्यवहार धर्म आदि  में विभक्त किया जा सकता है. लेकिन इन सारे धर्मो का पालन तभी सही ढंग से हो सकता है जब आप अहिंसा को विस्तार से समझाने का प्रयास करेंगे.
           जो आप चाहते है कि आपके साथ न किया जाये, वह व्यव्हार अथवा कार्य आप दुसरो के साथ न करे, यही अहिंसा है. आप चाहते है आपको कोई चोट न पहुचाये तो आप किसी को चोट ना पहुचाये, आप चाहते है कि आपको कोई अपमानित ना करे तो आप भी किसी का अपमान न करे, आप चाहते है कि आपकी वस्तु कोई न चुराए तो आप भी किसी कि वस्तु ना हरण करे, आप चाहते है कोई आपसे झूठ न बोले तो आप भी असत्स्य संभाषण न करे. सारे  धर्मो का सार अहिंसा ही है. बाकी सारी क्रियाए-विधिया-नियम-व्रत तो इसका विस्तार है. 
           यदि आप जीवन जीने की कला सीखना चाहते है एवं अपने धर्म को निभाना चाहते है तो अहिंसा की इस परिभाषा को समझ कर उसे अपनाना होगा.

7 नव॰ 2010

बन्दे में था दम... जय तुलसी गुरुवरम...(गुरुदेव आचार्य श्री तुलसी के जन्मजयन्ती पर श्रद्धावनत प्रणाम)

बन्दे में था दम... जय तुलसी गुरुवरम...(गुरुदेव आचार्य श्री तुलसी के जन्मजयन्ती पर श्रद्धावनत प्रणाम) पूरी कविता पढने के लिए फोटो पर क्लिक करे.

4 नव॰ 2010

मेडम सोनिया के राज में सबके है नारे-व्यारे


मेडम सोनिया के राज में सबके है नारे-व्यारे,
कही आदर्श मुख्यमंत्री विधवाओ के हक़ को मारे.
कही कोमन वेल्थ को अपनी समझते है कुछ प्यारे,
कही २-जीटेलीकॉम लाइसंस में मंत्री की जुडी तारे.
युवराज के साथियों के कीचड़ में सने है 'हाथ' सारे,
पर राहुल तो दुसरो पर करते आरोपों की बोंछारे.
भ्रष्टाचार पे चुप रहते मौनी मनमोहन बाबा हमारे,
महंगाई सब खा गयी, रह गए हम  'हाथ' पसारे.
आम आदमी ढूंढ़ रहा उस 'हाथ' को जो उसे उबारे,
'संजय' पूछता आपसे  जाए हम किस-किस के द्वारे ?    
मेडम सोनिया के राज में सबके है नारे-व्यारे.....

3 नव॰ 2010

दीपावली कुछ ऐसी हम मनाये


दीपावली कुछ ऐसी हम मनाये, राम अयोध्या फिर लौट आये.
दिलो के आँगन की करे सफाई, नफरत के मकड़जाल गिराए.
विधायक भावों से करे पुताई, प्रेम भाव के दीपक जलाये .
भ्रष्टाचार का रावण मारे , नैतिकता के राम हम बन पायें .
मर्यादाओ का पालन कर, पुरुषोत्तम के पदचिन्ह अपनाये .

रघुकुल रीती सतत निभाए, प्राण जाये पर वचन न जाये.
दीपावली कुछ ऐसी हम मनाये, रामराज्य फिर लौट आये.