3 नव॰ 2010

दीपावली कुछ ऐसी हम मनाये


दीपावली कुछ ऐसी हम मनाये, राम अयोध्या फिर लौट आये.
दिलो के आँगन की करे सफाई, नफरत के मकड़जाल गिराए.
विधायक भावों से करे पुताई, प्रेम भाव के दीपक जलाये .
भ्रष्टाचार का रावण मारे , नैतिकता के राम हम बन पायें .
मर्यादाओ का पालन कर, पुरुषोत्तम के पदचिन्ह अपनाये .

रघुकुल रीती सतत निभाए, प्राण जाये पर वचन न जाये.
दीपावली कुछ ऐसी हम मनाये, रामराज्य फिर लौट आये.

1 टिप्पणी:

  1. दीवाली ने कर दिया ज्योतिर्मय संसार,

    सबके आँगन में खिले सुख समृद्धि अपार.

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